पर्वत पुरुष दशरथ मांझी का परिवार बदहाली में जीने को मजबूर ।
पर्वत पुरुष के नाम से विख्यात महापुरुष दशरथ मांझी का नाम तो इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया,साथ ही इनके नाम से अस्पताल,विद्यालय, महाविद्यालय,संग्रहालय इत्यादि भी बन गया परंतु सरकार की उदासीन रवैए के कारण इनके परिवार फटेहाल जीवन जीने के लिए मजबूर हैं।बिहार के गया जिला के गेहलौर निवासी थे पर्वत पुरुष दशरथ मांझी जिन्होंने पहाड़ को काट कर रास्ता बना डाला जिससे वजीरगंज की दूरी पांच किलोमीटर कम हो गया।
बाइस सालों में अकेले हथौड़ी और छेनी से पहाड़ को काट कर रास्ता बनाने वाले महापुरुष पर्वत पुरुष दशरथ मांझी ने सरकार से अपने लिए कुछ नहीं मांगा और न ही सरकार की नजर कभी इनके परिवार की ओर गई।1992 में इंदिरा आवास के बीस हजार रुपए से इनका एक कमरा बना है जो आज भी है और बाकी घर खपरैल और फूस का है।
पर्वत पुरुष के एक पुत्र और उनकी एक बेटी जो तीन बच्चों के साथ इसी घर में रहती है।लकड़ी पर खाना बनता है और नल जल का पानी उपयोग करती है।इनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं।अंशु ने बताया कि आज सरकार की नजर इस परिवार पर होती तो ये लोग भी महल में रहते।
गेहलौर गांव में ही पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के समाधि स्थल पर एक छोटा पार्क बनाया गया है जहां लोग दूर दूर से घूमने आते हैं परंतु यहां भी साफ सफाई के लिए कोई नियुक्त नही है और शौचालय तो बना है परंतु उसके संचालन की व्यवस्था नही है
काश सरकार इस महापुरुष के परिवार पर थोड़ा भी ध्यान दे देती तो इनका परिवार भी एक अच्छा जीवन स्तर व्यतीत कर पाता।